-बहन, बेटियों के लिए खास होता है हरियाली तीज पर्व
-दौलताबाद में हरियाली तीज महोत्सव में पहुंचे नवीन गोयल
गुरुग्राम। दौलताबाद गांव के ग्रामीणों की ओर से शनिवार को गांव में हरियाली तीज महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान विशाल कुश्ती दंगल भी कराया गया, जिसमें पहलवानों ने दांव-पेंच दिखाते हुए अपनी ताकत दिखाई। इस महोत्सव में पर्यावरण संरक्षण विभाग भाजपा हरियाणा के प्रमुख एवं एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान के सह-संयोजक नवीन गोयल, बादशाहपुर के विधायक राकेश दौलताबाद ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की।
कार्यक्रम में समाजसेवी प्रद्युम्न जांघू, बाली पंडित, गगन गोयल, कोच प्रकाश मान, प्रदीप जांघू, अखाड़ा अध्यक्ष कर्णदेव दौलताबाद, सतपाल जांघू, सतीश पहलवान, सोपन पहलवान, सुल्तान सिंह उर्फ लीलू, ब्रह्मप्रकाश कौशिक, सूबे सिंह, श्रीभगवान किरोड़ी, दिलबाग सिंह पंच, विक्रम सिंह निशांत टैंट, योगिंद्र ङ्क्षसह सरपंच, विरेंद्र सिंह पूर्व सरपंच, सतन जांघू, जितेंद्र जांघू मौजूद रहे। सभी ग्रामीणों को तीज पर्व की बधाई देते हुए नवीन गोयल ने कहा कि उन्होंने कहा कि खेल चाहे कोई भी खेलें, उनमें भावना भाईचारे की होनी चाहिए। हमारे पर्व और खेल एक-दूसरे के पूरक हैं। कई पर्व और खेल के आयोजन एक साथ कराए जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारी एकता और भाईचारे की बड़ी मिसाल है। उन्होंने कहा कि हरियाली तीज पर्व विशेष तौर पर बहन, बेटियों के लिए खास होता है।
इसे मिलकर हम सब मनाते हैं। परिवार में एकता, खुशी का यह पर्व हमारी भारतीय संस्कृति में हम सबको बांधे रखता है। उन्होंने कहा कि हर पर्व, त्योहार की एक विशेषता होता है। कोई रोशनी का पर्व है तो कोई रंगों का। कोई महिलाओं के लिए विशेष पर्व है तो कोई पुरुषों के लिए। कोई बच्चों के लिए तो कोई बुजुर्गों के लिए। सभी पर्व हमें एकता और भाईचारे की भावना में बांधते हैं। नवीन गोयल ने कहा कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में अपने तीज-त्योहार मनाना अहम बात है। यह जरूरी भी है।
हमें अपनी संस्कृति को जिवित रखने के लिए अपने त्योहारों को पीढ़ी दर पीढ़ी मनाना चाहिए। चाहे हम कितने भी शिक्षित क्यों ना हो जाएं, चाहे कितने भी ऊंचे ओहदे पर क्यों ना पहुंच जाएं। हमें अपनी जड़ों से दूर नहीं होना चाहिए। जिस धरती से आगे बढ़े हैं, उस धरती का, वहां के व्यक्तियों का सम्मान हमारे व्यक्तित्व में होना चाहिए। यह सब संस्कारों से ही संभव हो सकता है। नवीन गोयल ने कहा कि अगर हमारे भीतर संस्कार हैं तो हमारा जीवन सफल है। अगर संस्कारहीन हैं तो हमारे जीवन का कोई अर्थ नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने हमें शिक्षा भी ऐसी ही दी है कि हम अपनों से दूर होकर भी दूर ना हों, अपनों के सुख-दुख में शामिल रहें।