-जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर जैन को किया नमन
-श्री एस.एस. जैन सभा न्यू रेलवे रोड पर आयोजित किया गया कार्यक्रम
गुरुग्राम। अहिंसा एवं करूणा के अवतार श्रमण भगवान महावीर स्वामी जी के 2623वें जन्म कल्याणक के शुभ अवसर पर न्यू रेलवे रोड स्थित श्री एस.एस. जैन सभा में आयोजित साप्ताहिक महावीर कथा वाचन कार्यक्रम में व्यापार प्रकोष्ठ भाजपा हरियाणा के प्रमुख नवीन गोयल ने शिरकत की। इस अवसर पर प्रधान प्रेमचंद जैन, श्याम सुंदर जैन व अन्य गणमान्य जन उपस्थित रहे। श्री एस.एस. जैन सभा के सदस्यों को महावीर जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम की बधाई दी।
कार्यक्रम में आराध्य गुरू देव श्री प्रेम सुख जी महाराज सा. के लघु शिष्य प. रत्न श्री उपेन्द मुनि शास्त्री जी, व्याख्यान वाचस्पति श्री सुखदर्शन मुनि जी, मधुर वक्ता श्री महादेव मुनि जी, मधुर वक्ता इन्द्रेश मुनि जी, तपस्वी श्री प्रशांत मुनि जी एवं मधुर वक्ता सहदेव मुनि जी से नवीन गोयल ने आशीर्वाद लिया।
जैन धर्म के 24वें एवं अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर जैन के जन्म कल्याणक पर नमन करते हुए व्यापार प्रकोष्ठ भाजपा हरियाणा के प्रमुख नवीन गोयल ने कहा कि लक्ष्य के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित होने वाला ही महावीर बन सकता है। भगवान महावीर ने अपने जीवन में एक लक्ष्य बनाया और उसी लक्ष्य को साधने का काम किया। उन्होंने कहा कि शांति, संयम और सद्भावना से जुड़े भगवान महावीर के संदेश विकसित भारत के निर्माण में देश के लिए प्रेरणापुंज हैं। हम सभी को उनके दिखाए हुए मार्ग पर चलने की जरूरत है। उन्होंने दोहराया कि महावीर वही व्यक्ति बन सकता है, जो लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पित हो, जिसमें कष्टों को सहने की क्षमता हो, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी समता एवं संतुलन स्थापित रख सके। जो मौन की साधना और शरीर को तपाने के लिए तत्पर हो, जिसके मन में संपूर्ण प्राणीमात्र के प्रति दया की भावना हो, जो पुरुषार्थ के द्वारा न केवल अपना भाग्य बदलना जानता हो, बल्कि संपूर्ण मानवता के उज्ज्वल भविष्य की मनोकामना रखता हो। नवीन गोयल ने कहा कि भगवान महावीर जन्म से महावीर नहीं थे। उन्होंने जीवनभर अनगिनत संघर्षों को झेला, कष्टों को सहा, दुख में से सुख खोजे। गहन तप एवं साधना के बल पर सत्य तक पहुंचे। इन सबके बाद वे हमारे लिए आदर्शों की ऊंची मीनार बन गए। भगवान महावीर ने व्रत, संयम और रित्र पर सर्वाधिक बल दिया था। पांच लाख लोगों को बारहव्रती श्रावक बनाकर धर्म क्रांति का सूत्रपात किया था। उन्होंने कहा कि केवल जैन धर्म ही नहीं, बल्कि समूची मानवता की सेवा के लिए भगवान महावीर स्वामी ने जीवन व्यतीत किया था। जैन समुदाय आज अपनी व्यवहारिक कुशलता और व्यावसायिक नैतिकता के लिए जाना जाता है। आज वो देश के सबसे धनी अल्पसंख्यक समुदाय में से एक है।