- कांग्रेस अध्यक्ष बने हैं उदयभान और हुड्डा के हो रहे स्वागत।
- कुमारी शैलजा को हटाकर हरियाणा की एक बेटी का अपमान किया गया।
- कांग्रेस में हर नेता का अपनी ढपली अपना राग है।
गुरुग्राम। कांग्रेस में न तो कार्यकर्ताओं का सम्मान है, न नेताओं का और न ही महिलाओं का। अंतर्कलह में उलझी कांग्रेस ने हरियाणा में कुमारी शैलजा को अध्यक्ष पद से हटाकर एक दलित बेटी का अपमान किया है। इनसे पहले दलित समाज से आने वाले अशोक तंवर के साथ भी कांग्रेस में माहौल खराब किया गया और उन्हें तो पार्टी ही छोडऩी पड़े। भले ही नए अध्यक्ष उदयभान बनाए गए हैं, लेकिन स्वागत भूपेंद्र हुड्डा के हो रहे हैं। इससे साफ है कि अध्यक्ष उदयभान तो तरकश के तीर की तरह रहेंगे, कमान हुड्डा की होगी। यह बात पर्यावरण संरक्षण विभाग भाजपा हरियाणा प्रमुख नवीन गोयल ने यहां जारी बयान में कही है।
नवीन गोयल ने कहा कि देश में भाजपा के लगातार बढ़ रहे जनाधार को कांगे्रस पचा नहीं पा रही है। इसलिए आपस में ही उलझती जा रही है। हरियाणा प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक कांगे्रेस बिखरी पड़ी है। इसमें ना तो सही नेता हैं और ना ही सही नीतियां हैं। हरियाणा की बात करें तो यहां हर नेता का अपना अलग गुट है। हुड्डा के रास्ते अलग हैं तो कैप्टन अजय सिंह यादव के अलग। रणदीप सुरजेवाला अलग ढपली बजा रहे हैं तो कुलदीप बिश्नोई अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित हैं। कांग्रेस से निकलकर कांग्रेस में ही आए कुलदीप बिश्नोई की स्थिति नाजुक दौर में चल रही है। पार्टी में उनकी अहमियत नजर नहीं आती।
पहले तो हुड्डा ने पूर्व सीएम भजनलाल को पार्टी में हाशिये पर धकेला, जिससे क्षुब्ध होकर भजनलाल ने कांग्रेस को अलविदा कहा। अपने बेटे कुलदीप बिश्नोई का राजनीतिक भविष्य मजबूत करने को उन्होंने हरियाणा जनहित कांग्रेस (बीएल) जरूर बनाई, लेकिन वे पार्टी को मजबूत नहीं कर सके। उनके निधन के बाद कुलदीप बिश्नोई ने हजकां का विलय कांग्रेस में इसलिए किया कि वे राजनीतिक रूप से खुद भी मजबूत हो जाएं और अपनी आगे की पीढ़ी को भी मजबूत करें। कांग्रेस में उनको कोई विशेष भाव नहीं मिल रहा। आज के दिन भी वे हाशिये पर ही हैं। कुलदीप बिश्नोई के बड़े भाई चंद्रमोहन भले ही कांग्रेस सरकार में उप-मुख्यमंत्री रहे हों, लेकिन आज वे भी सीन से गायब हैं। कांग्रेस पर पूरी तरह से हुड्डा का कब्जा हो चुका है। उन्हें किसी और नेता की कांग्रेस में मजबूती सहन नहीं है। वे कांग्रेस में अपना एक छत्र राज चाहते हैं। अपने बाद अपने सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा को कांग्रेस में मजबूत कर रहे हैं।
एक नेता को खुश करने के चक्कर में कांग्रेस हाईकमान बाकी नेताओं को नाराज करती जा रही है। यही कांग्रेस के राजनीतिक रूप से देश और प्रदेश में पतन का कारण भी है। क्योंकि हर राज्य में कांग्रेस हरियाणा जैसा मॉडल ही लागू कर रही है। उदाहरण के तौर पर राजस्थान में गहलौत को खुश रखने के लिए युवा नेता सचिन पायलट को दरकिनार किया गया है। इससे साफ पता चलता है कि कांग्रेस बिखरी हुई पार्टी है, जो शायद ही कभी सिमट पाए।
नवीन गोयल ने हरियाणा में कुमारी शैलजा को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने पर प्रतिक्रिया में कहा कि एक तरफ तो पार्टी की बड़ी नेता प्रियंका गांधी लड़की हूं लड़ सकती हूं और दूसरी तरफ हरियाणा की बेटी कुमारी शैलजा को हटाकर कांग्रेस ने बेटियों के प्रति अपनी सोच को जाहिर कर दिया है। इससे कांगे्रेस ने गलत संदेश दिया है। पहले से ही खराब छवि की कांग्रेस ने अपना चेहरा दागदार कर लिया है। श्री गोयल ने कहा कि अपने फायदे के लिए कांग्रेस की शुरू से ही रणनीति बांटने वाली रही है। खुद प्रधानमंत्री बनाने के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू ने देश का विभाजन किया।