पर्यावरण संरक्षण, पानी की बचत करने की सभी आदत डालें: नवीन गोयल

-सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त गुरुग्राम बनाने के लिए मिलकर करें प्रयास
-हैप्पी मॉडल स्कूल शीतला कालोनी में बच्चों को किया जागरुक

गुरुग्राम। पर्यावरण संरक्षण विभाग भाजपा हरियाणा के प्रमुख एवं एक भारत श्रेष्ठ भारत कमेटी के प्रदेश सह-संयोजक नवीन गोयल ने हैप्पी मॉडल स्कूल शीतला कालोनी में बच्चों को पर्यावरण संरक्षण का पाठ पढ़ाया। उन्होंने सभी को सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल ना करने की भी शपथ दिलाई। पर्यावरण संरक्षण व पानी की बचत की सभी को आदत डालने की बात भी उन्होंने कही।
नवीन गोयल ने कहा कि पॉलीथिन हमारे पर्यावरण के लिए बहुत ही हानिकारक है। सभी से अपील है कि गुरुग्राम को सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए पॉलीथिन की जगह केवल कपड़े से निर्मित थैले का उपयोग करें। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढिय़ां तभी खुशियों से खिलेंगी जब सृष्टि के स्रोत प्रकृति को संरक्षित रखा जाएगा। उन्होंने बच्चों, शिक्षक-शिक्षिकाओं से हरियाली को बढ़ावा देने और पर्यावरण संरक्षण के लिए किए जाने वाले उपायों को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि मानवीय भूलों के कारण ही मानवता पंचतत्वों का हिस्सा पानी और ऑक्सीजन खरीदने की स्थिति तक पहुंच गई है।

हमें इस सत्य को नहीं भूलना चाहिए कि यदि हम प्रकृति की रक्षा करेंगे तो प्रकृति हमारी रक्षा करेगी। उन्होंने सामान्य जीवन में कुछ कार्य करने के प्रति जागरुक करते हुए कहा कि सडक़ पर कचरा न फेंकें, सडक़ों व दीवारों पर न थूकें, नोट व दीवारों पर न लिखें, पानी व बिजली को व्यर्थ बर्बाद न करें। कम से कम एक पौधा अवश्य लगाएं, यातायात नियमों का पालन करें। प्रतिदिन माता-पिता का आशीर्वाद लें। एंबुलेंस को रास्ता दें। ऐसे कार्य करके हम समाज में अपना महत्वपूर्ण योगदान स्थितियां सुधारने व संस्कृति को बचाकर रखने में दे सकते हैं। नवीन गोयल ने कहा कि प्रदूषण की बढ़ती समस्या जीवन का सबसे बड़ा संकट है। इसलिए हम सभी को वातावरण स्वच्छ रखना चाहिए। उन्होंने कहा पेड़ों से ही हमें आक्सीजन मिलती है। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को पौधारोपण करना चाहिए।

पानी की बचत के प्रति जागरुक करते हुए उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर कुल पानी का केबल 0.2 प्रतिशत पानी ही पीने योग्य है। ऐसे में जरूरत है कि हम पानी की अधिक से अधिक बचत करें। पानी के नेचुरल स्रोतों को सही करें। बरसाती पानी का संचयन करें। जहां तक संभव हो हमें वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने चाहिए, ताकि बरसात का पानी जमीन में डाला जा सके। उन्होंने शिक्षकों का आह्वान किया कि वे प्रकृति के संरक्षण के लिए जागरुक करने के लिए बच्चों से वॉल पेंटिंग कराएं। प्रकृति की चीजों को पेंटिंग के माध्यम से दीवारों पर उतारें ताकि आने-जाने वाले इससे जागरुक हो सकें।