-भाजपा नेता नवीन गोयल होंगे कार्यक्रम के मुख्य अतिथि

गुरुग्राम। वर्ष 1961 में स्थापित एवं 26 जनवरी 1982 में पंजीकृत गढ़वाल सभा द्वारा संचालित

श्री बदरी केदारनाथ मंदिर का 28वां स्थापना दिवस 21 जनवरी को धूमधाम से मनाया जाएगा। रवि नगर सेक्टर-9 में बद्री केदारनाथ मंदिर एवं धर्मशाला मेंं यह समारोह होगा। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पर्यावरण संरक्षण विभाग भाजपा हरियाणा के प्रमुख एवं एक भारत श्रेष्ठ भारत कमेटी के प्रदेश सह-संयोजक नवीन गोयल होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता हीरो मोटो कॉर्प के पूर्व महाप्रबंधक कुंवर संजय सिंह बिष्ट करेंगे।

     
गढ़वाल सभा के प्रधान दिनेश रावत व पूर्व प्रधान देवेंद्र रोतेला ने बताया कि पिछले 44 साल से गढ़वाल सभा कार्यरत है। सांस्कृतिक, एकता, भाईचारा, उत्तराखंड की संस्कृति को प्रोत्साहित करती है। रक्तदान, स्वास्थ्य जांच शिविर, पौधारोपण जैसे सामाजिक कार्यों को भी लगातार करते हैं। उन्होंने बताया कि श्री बदरी केदारनाथ मंदिर का 28वां स्थापना दिवस 21 जनवरी को धूमधाम से मनाया जाएगा। सुबह 9 बजे गणेश पूजन किया जाएगा। इसके बाद 10 बजे सुंदर कांड पाठ होगा। दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक हवन-आरती होीग। दोपहर 1 बजे से भंडारा होगा। उन्होंने कहा कि गुरुग्राम से सबसे पुरानी पहली संस्था गढ़वाल सभा है, जो समय-समय पर उत्तराखंड के लोगों के हितों के लिए काम करती रहती है। पिछले 44 साल से संस्था गुरुग्राम में काम कर रही है। भाईचारा, उत्तराखंड की संस्कृति को प्रोत्साहित करती है। रक्तदान, स्वास्थ्य जांच शिविर, पौधारोपण जैसे सामाजिक कार्यों को भी लगातार करते हैं। चाहे गुरुग्राम से उत्तराखंड के विभिन्न रूटों पर बस चलवाने की मांग हो या फिर कोई अन्य सामूहिक कार्य हो।

 गढ़सभा की कार्यकारिणी और सदस्य दिन-रात जुटे रहे हैं। कार्यकारिणी पदाधिकारियों ने उत्तराखंड के रूटों पर हरियाणा रोडवेज की बसें चलवाने के लिए पर्यावरण संरक्षण विभाग भाजपा हरियाणा के प्रमुख एवं एक भारत श्रेष्ठ भारत कमेटी के प्रदेश सह-संयोजक नवीन गोयल का विशेष आभार जताया। उन्हीं के प्रयासों से, परिवहन मंत्री से मुलाकात करके उन्होंने ही इस बस सेवा की शुरुआत कराने में अहम भूमिका निभाई। उनके इस नेक कार्य के लिए गढ़वाल सभा के स्थापना दिवस समारोह में नवीन गोयल को विशेष सम्मान दिया जाएगा। सभा के सदस्यों ने कहा कि पूर्व की तरह भविष्य में भी गढ़वाल सभा उत्तराखंड के लोगों के लिए ऐसे ही सेवा कार्य करती रहेगी। स्थानीय निवासियों के साथ मिलकर सभा हमेशा अपने पर्व भी मनाती है। अपनी संस्कृतियों का आदान-प्रदान करके एक-दूसरे के साथ प्रेम भाव पैदा करना ही सभा का मुख्य उद्देश्य रहता है। सभी लोग यहां पुरुषार्थ करके अपनी आजीविका चला रहे हैं।
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